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यह लेख प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा को आगाह करने वाला है,अब प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में चूक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी की पुनरावृति होते होते बची और एक बार फिर पुष्टि हो गई है कि देश का खुफिया तंत्र कमजोर व देश विदेश का माफिया तंत्र जातिवाद भाषावाद अलगाव वाद से देश को खंडित करने के उद्धेस्य से देश पर हावी हो गया है

 


यह लेख प्रधानमंत्री मोदी  की सुरक्षा को आगाह करने वाला है

देश की मीडिया में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी की पुण्य तिथि की कोई चर्चा नही !!!, वह तो  देश के पाँच प्रदेशों में अपना खर्चा व मुनाफ़े के जुगाड़ में लगी है 


इसका एक ही निदान है यदि इस समस्या को  सेना के हवाले कर दिया जाय व जो देश का जवान व किसान माफियाओं के चंगुल में फँसकर अपनी शक्ति गँवाते जा रहा है…!!! अब उसमें भी जय का खून प्रवाहित होकर देश भर में जय की गूंज से देश  चंद दिनों में दिव्यमान से विश्वगुरू बन  जाएगा

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११ जनवरी १९६६ ...एक महान आत्मा का अंत ..चाय पर चर्चा


अपने घर से खर्चा ..., जी हाँ एक प्रधानमंत्री ने फिल्म अभिनेता मनोज कुमार को अपने घर चाय पर चर्चा अपने खर्चा पर बुलाकर कहा ..., “मनोज जी मैं न तो जवान दिखता हूँ न किसान..लकिन १९६५ की पाकिस्तान से युद्ध में विजय की इस ज्वाला से किसान व जवानों के हौसले बुलंद रहें ..आप ऐसी फिल्म बनाओं ताकि इस मशाल के अन्वरित गाथा से हम पुन: इस विदेशी हाथ.साथ विचार संस्कार से देश पुन: इस बेडी में न फंसे ..,”

 


११ जनवरी १९६६ में शास्त्री की ह्त्या के बाद फिल्म अभिनेता मनोज कुमार ने कहा मैंने जिस “जय जवान – जय किसान “ के लिए फिल्म बनाई है वह इस दुनिया में अब नहीं रहा ..अब इस फिल्म का जोश एक राष्ट्रवाद के समुन्द्र की गहराई से निकले बुलबुले की चंद दिनों बाद समुन्द्र की सतह में आकर मौत हो जायेगी ..अर्थात मेरे इस “उपकार” फिल्म की जोश चंद दिनों में समाप्त हो जाएगा ...

 


October 2, 2017 की वेबस्थल व फेस बुक की पुरानी पोस्ट

 

यदि २ अक्टूबर को उनके अतुल्यनीय साहस की प्रेरणा व आने वाले सालों में हम यह दिवस लाल बहादुर शास्त्रीकी जयन्ती के रूप में मनाएं तो देश के युवकों में लाल बहादुर शास्त्री के कार्यों से प्रेरित होकरराष्ट्रवाद के खून का संचार सेजो काम गांधी व नेहरू न कर सकेहम जल्द ही विश्व गुरू व सर्वोपरि हो जायेंगे...दोस्तों आप अपनी राय दें..११ जनवरीआज एक महान फ़कीर प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ५०वी पुण्य तिथी पर अश्रुपूर्वक प्रणाम..,जय –जवान किसान का सलाम..,

 

अपने १८ महीनों के कार्यकाल में देश में अकाल व विदेशी आक्रमण के काल के गाल में निगलने वाले अजगरों को अपने फौलादी जिगर से परास्त कर दिया था . युद्द में पाकिस्तानी के पठान कोट के पठानों की कोट उतार कर दुश्मनों ने घुटने टेक दिए थे

 

१९६५ की लड़ाई की जीत की ५० वीं वर्ष गांठ मेंमीडिया ने TRP की दौड़ में इसे जोर शोर से दिखाया जबकि शास्त्री के योगदान को नगण्य माना..आज उनकी ५०वी पूण्य तिथी में देश में सन्नाटा ही नहींकांग्रेस व अन्य नेताओं में मुर्दानगी है

आज उनकी मृत्यु के ५० साल बाद भी..देशविदेशी आक्रमण के घावों से घायल होकर..हमअपने घायल होने का सबूत देकरविश्व से गुहार लगा रहें है .

 

एक ५० इन्च की काया व ५६/२ =२८ इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था हम शांति के पक्षधर है ..यदि किसी ने देश की तरफ बुरी निगाह डाली तो उसकी आँखें फोड़ दी जायेगी...

 

गरीबी अभिशाप नहीं होती है..इसे उन्होंने प्रमाणित किया था , वे इतने गरीब थे कि उनके पास चाय पीने के भी पैसे नहीं थे ..देश के कुओं के पानी का स्वाद व देश की माटी की खुशबू के महक ही उनके सफलता की सीढ़ी थी

काश..मोदीजेयदि आज नोटों पर लालबहादुर शास्त्री का चित्र छापते तो नयी पीढी उनके आदर्शों से अभिभूत होकर देश को एक नई दिशा के ओर अग्रसर होती .

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(गांधी व कांग्रेस की २०० भयंकर भूले , Deshdoooba Community या वेबसाईट पर कृपया गौर से पढ़े )

१.लाल बहादुर शास्त्री ने अपने १८ महीने के शासन काल में नेहरू के १७ साल के कार्यकाल की गन्दगी साफ़ कर दी थी..

 

२.गांधी की गंदी राजनीती व जवाहर लाल नेहरू के जहर से देश ६८ साल के सत्ता परिवर्तन के शासन में कंगाल हो गया है...

 

३.शास्त्री जी के अल्प काल मेंदेश में राष्ट्रवादी भावना से जनता को ओत प्रोत करश्वेत क्रांती के साथ हरित क्रांती का जन्म हुआउनका आव्हान था शहर वालोंघर के आस पास जितनी भी खाली जमीन है उसमें अन्न उगाओ..उनकी सादगी से जनता कायल थी , लेकिन कांग्रेसी घायल थेउनकी अय्याशी पर रोक लगने सेभ्रष्टाचार ख़त्म कर उन्हें मजदूर बना दिया था

 

४. उन्होंनेपूरे देश को उन्होंने आव्हान किया की सोमवार को एक दिन का उपवास रखे , इसके पहिले उन्होंने कहा जब मेरा परिवार उपवास में सक्षम होगा तो ही मैं राष्ट्र को आव्हान करूंगा..

 

५. दक्षिण भारत जो हिन्दी विरोधी था उन्होंने भी इसका तहे दिल से अपनायाव देश भर मे होटल बंद रहते थी,

नेहरू के दिन के २५ हजार के खर्च की जगह प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री महीने में मात्र ३०० रूपये में सरकारी वेतन से घर चलाते थे

 

उनकी जिदंगी एक अति सादगी व प्रधानमंमंत्री के रूप में सडक किनारेरहने वाले एक गरीब जैसी थी

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प्रधानमंत्री होने के बावजूद वे किराए के घर में रहते हुए उनकी रूस (मास्को) में ह्त्या हुई थी

 

लाल बहादुर शास्त्री हमेशा कहते थे सत्ता का स्वाद मत चखों..,देश की गरीबी के लिए काम करोसत्ता के मद से अपने संस्कार मत बिगाड़ोइसलिए उनके ६ बच्चे होने के बावजूद वंशवाद की परम्परा को तोड़ते ही अपन बच्चों को राजनीती में कदम रखने नहीं दियायहाँ तक की अपने बच्चो को सरकारी कार में बैठने नहीं देते थे..,

घर से प्रधानमंत्री दफ्तर में पहुँचाने के बाद सरकारी कार छोड़ देते थेवे अन्य मंत्रियों से कहते थे आप इसका उपयोग करें

 

८.. आजादी के आन्दोलन में अंग्रेज जब भीकांग्रेसी नेता गिरफ्तार होते थे तो उन्हें जेल में विशेष खाना जैसे हलवा पुरी मिलती थी ...लाल बहादुर शास्त्री वे खाना अन्य कैदियों में बाँट देते थे , कहते ऐसे मालपुआ भोजन से मैं बीमार पड़ जाऊंगाऔर अन्य कैदीयों को बांटकरवे भी खुश रहते थे...

 

जब उन्होंने रेल दुर्घटना की वजह से इस्तीफा दिया..अगले दिन सरकारी घर खाली करने के पहले वे रात भरबिना बिजली के रहे ...कहामेरा पद चला गया है ..मैं सरकारी बिजली खर्च नहीं करूंगा ..

 

९.. प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके घर में कूलर लगा देखकरउस कूलर को यह कहते ही वापस कर दिया कि मेरे बच्चों को इसकी आदत नहीं डालनी है

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१०... १९५२ से कांग्रेस के “चुनाव चिन्ह” में “दो बैलों की जोड़ी” सेजवाहरलाल नेहरू ने चुनावी नारा “आराम हराम है” के अपने अय्याशी पन को छिपाकर जीता , सत्ता में आते ही इन दो बैलों को सत्ता की विदेशी शराब पीला कर बेहोशी में रखा.... और बिना किसान केदेश की उपजाऊ जमीन को बंजर बनाकर , देश में भूखमरी पैदाकरविदेशी अनाज से देशवासियों का लालन पालन कियाहमें ऐसा घटिया/सड़ा अनाज खिलाने को मजबूर किया गयाजो कि अमेरिका के सूअर भी नहीं खाते थे ... हमारे सेना के जवानों के हाथों में बन्दूक थमाने की बजाय “शांती का गुलाबी फूल” थमा दिया .... और “हिन्दी –चीनी , भाई-भाई” के नारे में उसकी महक डालने सेनोबल पुरूस्कार जीतने की महत्वकांक्षा में सेना को नो बल कर दिया... हमारे से दो साल बादआजाद हुए “चीन” ने अपनी ताकत बढाते हुए .... मौके की ताक में हमारे देश ४६ हजार वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर , नेहरू को थप्पड़ मार कर , नेहरू का नारा “हिन्दी –चीनी , खाई –खाई” मे बदल दिया और नेहरू का “शांती” के नारें की देशवासियों के सामने पोल खोल दी

 

११. जवाहर लाल नेहरू की मौत के बाद . प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने इन दो बैलों का किसान बनकर ,अपने सवा चार फीट की काया कोराष्ट्रवादी बल से , इन अपाहिज हुए जवानों व किसानों में एक नया आत्मबल डाल कर , “जय जवान – जय किसान” के नारा को १९ महीने में सार्थक बना दिया. लेकिन....देश के कांग्रेसी तो वंशवाद से भयभीत थे ... लेकिन उससे कहीं ज्यादा भयभीत विदेशी ताकतें थीउन्हें अहसास हो चुका था {यदि हमारा देश दो साल और “राष्ट्रवादी प्रवाह” से चलेगा तो हम हिन्दुस्तान आत्मनिर्भर बन जाएगाऔर कोई ताकत उस पर राज नहीं कर सकेंगीइसलिए , देश के “लाल” को सुनोयोजित षड़यंत्र से मारकरउन्हें दूध में जहर दे कर “नीली” काया में उनके पार्थीव शरीर को लाया गया , हमारे देशी कांग्रेसी ताकतों ने भी इसे हृद्याधात से प्राकृतिक मौत सेबिना पोस्टमार्टम केडर से... कही पोस्टमार्टम करने पर , देशी व विदेशी ताकतों का पोस्टमार्टम न हो जाए ... आनन – फानन में प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का शव दाह कर दिया , उनकी पत्नी अंत तक गुहार लगाती रही , मेरे पति की हत्या की जांच हो...

 


१२. ये वही काग्रेसी थेजिन्होने लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद , उन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उनके किराए के घर मे घुसकर धावा बोलातब उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने अपनी अलमारी खोलकर कांग्रेसीयो को दिखाते हुए कहा , देखो?, ये मेरा काला धन हैये हमारी सपत्ति हैकांग्रेसीयो ने छान बीन की तो उसमे , लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर कुछ कागज मिले , उन कांग्रेसीयों को लगा कि इसमे लाल बहादुर शास्त्री के अचल व काले धन की संपत्ति के दस्तावेज हैं.

 

जब कांग्रेसीयो ने दस्तावेजों को खंगाला तो वह बैक के कर्ज के पेपर निकलेजो लाल बहादुर शास्त्री नेप्रधानमंत्री के कार्यकाल मेअपनी नीजी कारबैक के कर्ज से खरीदी थीऔर कर्ज अदायगी मे असमर्थ होने परबाद मे वह कार बैक को लौटा दी थी. तो वे उन सभी काग्रेसीयों के चेहरे उतर गये और् उनके घर से खाली-हाथ मलते लौटे.

 

१३.उसी तरह लाल बहादुर शास्त्री की मौत के बादप्रधानमंत्री बनने के बादइंदिरा गाधी भी उनके किराए के घर गईऔर उनका घर देखकरअपना नाक सिकुडते हुए कहा.. “छी:… मिडल क्लास फैमिली” ( “छी:मध्यम दर्जे का परिवार”)

 

१४.यह वही देश का लाल था , जिन्होने अपना जीवन देश को सर्मपित कर दिया था , और उस देश के लाल का मृत शरीर , विदेश से नीले रंग (मृत शरीर का नीला रंगदर्शाता है कि शरीर मे विष का अंश है) मे आयातो न कोई जाँच न कोईन कोई पोस्ट मार्टम (शव विच्छेदन)आनन फानन मे अंतिम क्रिया कर दी गई,.ताकि मौत का रहस्य दब जायें?


वीर सावरकर की,  !!!!  दो अचूक..सार्थक भविश्यवाणीयाँ  !!!!

१. श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं ..आप जिन्दा नहीं लौटेंगें 
२. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओयदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..

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वीर सावरकर की,  !!!!  दो अचूक.., सार्थक भविश्यवाणीयाँ  !!!!

 

१. श्यामा प्रसादजी आपकी देश को बहुत जरूरत है. आप कश्मीर मत जाओं .., आप जिन्दा नहीं लौटेंगें

२. ताशकंद जाने से पहले वीर सावरकर ने लालबहादुर शास्त्री को चेताया और कहा शास्त्रीजी हम जीते हुए राष्ट्र है , रूस के प्रधान्मत्री को हमारे देश मे बुलाओ, यदि आप ताशकंद जाओगे तो वापस नही आओगे.. और हमारे द्वारा जीता भाग भी लुटा आओगे..

किसी ने अय्याशी की

किसी ने तानाशाही की

किसी ने वतन लूटा

किसी ने कफ़न लूटा

किसी ने देशवासियों को घोटाले की फ़ौज से मौज कर..घोंट दिया

 

प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी आपकी 55 वी पुण्य तिथि का पुण्य देश पर हैहमारा प्रणाम , आपने शास्त्र के शास्त्र से जीत का मंत्र दिया , आज के सत्ताखोरों ने तुम्हारे आदर्शों को भूलाकर भ्रष्टाचार से देश को डूबों दिया

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देशी –विदेशी शक्तियों ने जय जवान – जय किसान के रखवाले की ह्त्या कर , देश की हरियाली ख़त्म कर दी...

Let's not make a party but become part of the country. I'm made for the country and will not let the soil of the country be sold..... www.meradeshdoooba.com (a mirror of india) स्थापना २६ दिसम्बर २०११ कृपया वेबसाइट की 800 से अधिक  प्रवाष्ठियों की यात्रा करें व E MAIL द्वारा नई पोस्ट के लिए SUBSCRIBE करें - भ्रष्टाचारीयों के महाकुंभ की महान-डायरी

 

 


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